Uttarakhand News: सिख प्रतिनिधिमंडल ने CM धामी से की मुलाकात, हेमकुंट साहिब रोपवे महापरियोजना के लिए PM मोदी और मुख्यमंत्री का जताया आभार…..


देहरादून. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शासकीय आवास में श्री हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष एस. नरिंदर जीत सिंह बिंद्रा के नेतृत्व में विभिन्न सिख संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री का हेमकुंट साहिब रोपवे महापरियोजना के लिए आभार व्यक्त किया. मुख्यमंत्री धामी ने सिख संगठनों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और श्रद्धालुओं की यात्रा को सरल बनाने के लिए निरंतर कार्य हो रहा है. हेमकुंट साहिब रोपवे न केवल एक संरचनात्मक परियोजना है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत और श्रद्धा का भी प्रतीक है.

हेमकुंट साहिब रोपवे गोविंदघाट से हेमकुंट साहिब तक 12.4 किमी लंबी परियोजना, जिसकी अनुमानित लागत ₹2,730.13 करोड़ है. एस. नरिंदर जीत सिंह बिंद्रा ने कहा कि हेमकुंट साहिब सिख धर्म का एक पवित्र और ऐतिहासिक तीर्थ है. वहां तक पहुंचने का रास्ता कठिन और जोखिम भरा होता है. इस रोपवे परियोजना से न केवल लाखों श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी यह आर्थिक और सामाजिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी.

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी कहा कि परियोजना का कार्य शीघ्रता से प्रारंभ किया जाएगा और निर्माण के प्रत्येक चरण में पर्यावरणीय मानकों और स्थानीय जनभावनाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा. उत्तराखण्ड राज्य में परिवहन एवं अवसंरचना विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत भारत सरकार और उत्तराखण्ड सरकार के बीच लगभग ₹7,000 करोड़ की अनुमानित लागत से देश की सबसे बड़ी रोपवे परियोजना स्थापित करने हेतु समझौता संपन्न हुआ है. इस साझेदारी के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक्स एवं निर्माण लिमिटेड (NHLML) और उत्तराखण्ड सरकार के बीच एक संयुक्त विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) का गठन किया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार की 51% और राज्य सरकार की 49% हिस्सेदारी होगी. यह SPV राज्य में रोपवे परियोजनाओं के निर्माण, संचालन, प्रबंधन एवं रखरखाव का कार्यभार संभालेगा.

इस प्रयास के तहत कई प्रमुख रोपवे परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिनमें विशेष रूप से गोविंदघाट से हेमकुंट साहिब तक की 12.4 किमी लंबी रोपवे परियोजना प्रमुख है, जिसकी अनुमानित लागत ₹2,730.13 करोड़ है. यह परियोजना श्रद्धालुओं की यात्रा को अत्यंत सुगम, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल बनाएगी, विशेषकर बुजुर्गों और असहाय यात्रियों के लिए यह सुविधा एक बड़ी राहत साबित होगी.



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